भारत का ऐसा पहलवान जो एक भी कुश्ती नहीं हारा - जानिए गामा पहलवान के बारे में

गामा पहलवान भारत में अंग्रेजों के समय के ऐसे पहलवान थे जिन्होंने अपनी जिंदगी में कुश्ती की एक भी लड़ाई नहीं हारी। गामा पहलवान को पुराने समय में "रुस्तम-ए-हिन्द" की उपाधि से बुलाया जाता था। उन्होंने अपने जीवन में कुश्ती में बहुत नाम कमाया। तो आइये पढ़ते हैं उनके जीवन से जुड़ी कुछ रोचक बातें।

The Great Gama
The Great Gama
गामा पहलवान का जन्म सन 1880, 15 अक्टूबर को पंजाब के अमृतसर जिले में कश्मीरी बट परिवार में मुहम्मद अजीज के घर हुआ था। गामा को पहलवानी विरासत में मिली थी क्योंकि गामा के पिता भी पहलवान थे। बचपन से वो अपने पिता को पहलवानी करते हुए देखते थे और उनका भी सपना था की वो पहलवान बनें। गामा और उनके भाई इमामबक्श दोनों साथ में पहलवानी के दाव-पेच सीखा करते थे। जब गामा दस साल के थे तब उन्होंने कुश्ती की एक प्रतियोगिता में एक पहलवान को हराया। इसके बाद जोधपुर के महाराज ने उन्हें पुरुस्कार दिया और साथ ही दतिया के राजा भवानी सिंह ने दोनों भाइयों को तमाम सुख-सुविधायें देने का खर्च अपने जिम्मे लिया। इसके बाद दोनों भाइयों ने पंजाब के प्रसिद्ध पहलवान माधोसिंह से कुश्ती के दाव-पेच सीखे।

गामा ने पत्थरों से कसरत करके बनाया फौलादी शरीर

The Great Gama Workout Stone
The Great Gama Workout Stone
आज हमारे पास एक्सरसाइज करने की बहुत सारी मशीन होते हुए भी हम बॉडी नहीं बना पाते। सोचो गामा पहलवान के समय में न जिम हुआ करती थी और न ही कसरत करने की मशीन थीं। गामा पहलवान ने पत्थरों के डंबल बना कर अपना शरीर बना लिया फौलादी। गामा ने अपने समय में बहुत सारे देसी और विदेशी पहलवानों को धूल चटाई थी। भारत में जो कुश्तीबाजी में बहुत ज्यादा महारथ हांसिल करता है उसे "रुस्तम-ए-जमां" का नाम दिया जाता है और गामा पहलवान भी उनमें से एक हैं जिन्हें इस उपाधि से नवाजा गया। गामा पहलवान कुश्ती में अपने समय के विश्व विजेता थे।

गामा पहलवान डाइट और कसरत

Gama Pehlwan Workout
Gama Pehlwan Workout
गामा पहलवान के फौलादी शरीर को बनाने के लिए कसरत करते थे और साथ में डाइट भी बहुत लेते थे। ऐसा कहा जाता है गामा पहलवान उस समय में 10 किलो दूध में 1 किलो बादाम डाल कर पीते थे। दूध को वह उबालकर दस किलो से आठ किलो कर लेते थे। इसके साथ ही वो और भी आहार खाते थे जिनसे उन्हें बहुत शक्ति मिलती थी। 

गामा पहलवान एक बार में 1-5 हजार तक दंड-बैठक मार लेते थे। इतना ही नहीं अपने गले में वह एक हंसली लटकाते थे जिसमें पत्थर लटके होते थे पत्थरों का वजन 80-95 किलोग्राम होता था। अगर हमें कोई दंड-बैठक लगाने को कहे तो हम तो शायद 20 भी ना लगा पाएं। परन्तु गामा इतना वजन लटकाकर हजारों दंड-बैठक लगा लेते थे। गामा पहलवान के पत्थर के डंबल और हंसली दतिया को पटियाला के खेल संग्रालय में रखा गया है।

गामा पहलवान ने 1 मिनट में हराया अमेरिकी रेसलर बैंजामिन रोलर को 


गामा पहलवान जब 19 वर्ष के थे तब उन्होंने कुश्ती चैम्पियन रहीमबक्श को चुनौती दी थी। रहीमबक्श पंजाब का रहने वाला 7 फुट ज्यादा लम्बा पहलवान था और गामा की लम्बाई 6 फुट से भी कम थी। दोनों के बीच घंटों मुकाबला चलता रहा परन्तु दोनों बराबर रहे। कुछ समय बाद जब दोनों के बीच इलाहबाद में फिर से मुकाबला हुआ वहां गामा ने रहीमबक्श को हराकर रुस्तम-ए-हिन्द का खिताब हांसिल किया। गामा हारने के बाद रहीमबक्श ने उन्हें बधाई दी और कहा की गामा उनके जीवन का अब तक का सबसे शक्तिशाली प्रतिध्वंदी था।

एक बार मुकाबले में अमेरिका का कोई पहलवान गामा के सामने नहीं आया तो उन्होंने अमेरिका के सभी दिग्गज पहलवानों को चुनौती दी जिनमें स्टेनली ज़िबेस्को (पौलैंड) और फ्रैंक गॉश शामिल थे। उनकी यह चुनौती बैंजामिन रोलर ने स्वीकार की और जब दोनों में मुकावला हुआ तो बैंजामिन रोलर को गामा ने 1 मिनट 40 सेकंड में धूल चटा दी। इसके बाद बैंजामिन रोलर ने दुबारा प्रयास किया परन्तु इस बार भी गामा ने उसे 8 मिनट में हरा दिया।

अंग्रेजो ने भारत को दिखाना चाहा नीचा - गामा ने दिया मुँह तोड़ जवाव 

Gama Wrestler India
Gama Wrestler India 
यह बात है सन 1910 की इंग्लैंड में एक विश्वस्तरीय प्रतियोगिता आयोजन हुआ। इस प्रतियोगिता में गामा पहलवान, इमामबक्श और अहमदबक्श के साथ इस प्रतियोगिता में हिस्सा लिया। अंग्रेज आयोजकों भारत को नीचा दिखाने लिए गामा प्रतिभागियों की सूची में शामिल नहीं किया। अंग्रेजों के इस बर्ताव को देख देख कर गामा को अच्छा नहीं लगा। फिर क्या था 30 वर्षीय गामा ने पूरी दुनिया से आए सभी पहलवानों को खुली चुनौती दी कि कोई अगर उनके सामने 5 मिनट से ज्यादा टिक पाया तो उसे नगद इनाम दिया जाएगा। इसे सुनकर कुछ अंग्रेज कुश्तीबाज गामा से लड़ने आये परन्तु कोई भी 5 मिनट से ज्यादा उनके सामने टिक नहीं सका।

विश्व विजेता स्टेनली ज़िबेस्को छुप गए गामा से डर कर

इस घटना के बाद अंग्रेजों से गामा से बदला लेने के लिए आयोजकों ने दूसरे मुकाबले का आयोजन किया। इस मुकाबले में विश्व विजेता स्टेनली ज़िबेस्को शामिल थे। गामा ने डेढ़ मिनट में ही स्टेनली ज़िबेस्को पटक दिया और लगभग ढाई घंटे तक ज़िबेस्को को पेट के बल अपनी ताकत से दबाये रखा। कोई किसी को चित्त सका इसलिए उस दिन इस मुकावले को ड्रा कर दिया। अगले दिन मुकावले को दुबारा शुरू करने की घोषणा की गयी परन्तु गामा के डर से वह कहीं छुप गया और अगले दिन मुकावले के लिए आया ही नहीं। इस तरह गामा बन गए विश्व विजेता और साथ ही में उन्हें दी गयी "जॉन बुल बेल्ट"।

गामा पहलवान का अंतिम जीवन रहा बहुत दुखद

सन 1947 के बाद गामा अपने भाई के साथ जाकर पाकिस्तान में बस गए थे। गामा पहलवान में तो कोई हरा नहीं पाया परन्तु उनकी जिंदगी के अंतिम दिनों में वह पूरी तरह से टूट गए थे। वह रावी नदी के किनारे एक छप्पर के नीचे रहते थे। उनके पास खाने-पीने के भी पैसे नहीं होते थे तो उन्होंने अपने चाँदी और सोने के मैडल बेच कर अपना जीवन यापन किया। जब भारत में गामा के चाहने वालों और पटियाला के नरेश को गामा की इस हालत का पता चला तो उन्होंने पैसे की मदत भेजनी शुरु की परन्तु तबतक बहुत देर हो चुकी थी। सन 1960 में भारत का यह महान पहलवान इस दुनिया को अलविदा कह कर चला गया।

दोस्तों गामा सही मायनों में भारत एक सच्चा हीरो था। आपको यह लेख कैसा लगा हमें कमेंट करके बताएं। जय श्री राम //

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